आज वोहा रयपुर के एक ठन परायवेट अस्पताल मा भरती हे। अपन सवास्थ ल ठीक करत हे। वो दिन मेहा अपन घरवाली के संग ओला देखे बर गे रेहेंव। वो हा हम दूनों ल देख के बड़ खुस होगे। आज वोकर अपरेसन होए छ दिन बीत गे हावय। हमन वोला पूछेन अउ कतका दिन ए अस्पताल म तोला राखिहीं। नई जानव। मोला कतका दिन ए अस्पताल म राखहीं। हेमा हा रोवत रोवत गोठियावत रिहिस, मेहा अपन टुरी बेटी ल अतका दिन होगे नइ देखे हंव। मोला अपन कांही संसो-फिकर नइए। मेहा वोला देखे बर गुनताड़ा ल करत रहिथंव। मोर आत्मा हा कलपत रहिथे। मोर एक का हाल होगे मे हा इंहा ए अस्पताल मा छटपटावत हंव अउ मोर जनमाए मोर लइका हा दूसर असन परे हे। जौन हा सिरिफ अपन समे ले आगू पइदा होथे तेन हा भरती हे। वोकर उंहा बने-बने साज-संभाल होवत हे। फेर जब मेहा वोला नइ देखंहू तव मोर जी हर नइ जुड़ावय। इंही समे म सतीश हा एक ठन मुबाइल ल लाके हमन ला दिखाइस अउ वो मुबाइल म ओकर लइका के खींचे फोटू ला देखाइस। हेमा हा कहन लागिस का करंव जब ले खुदे मे हा अपन लइका ल जाके नई देखंव तब ले इही फोटू ल देख-देख के अपन करेजा ल जुड़ावत हंव। हेमा ल छ: दिन होय रिहिस। समे ले आगू ओकर पेट मा पीरा उठिस। वो पीरा हा अब्बड़ जियानन लागिस। वो हा अपन मइके म अपन ददा के घर म रिहिस। ओकर घर वाले हा अपन काम-बूता म उंहिचे ले आवत-जावत रहय। हेमा ल अपन मइके म रहत तीन-चार महीना होगे राहय। घर म हेमा के दू ठन नान्हें भाई मन अउ ददा अउ ओकर फूफू हा रहत रहय। हेमा ह सवधानी खातिर अपन ससुरार घर ल छोड़ के अपन मइके आय राहय। लइका के हालत त बड़ नाजुक रिहिस। काबर के एक तो समे ले आगू होगे रिहिस अऊ समे ले आगू होय पाके ओकर जइसन वजन चाही ओहा नइ रिहिस। तुरत हे वो लइका ल वो अस्पताल ले दूरिहा एक ठन दूसर लइका के अस्पताल मा अम्बुलेंस ले भेजवाय गिस। अब ए डहार हेमा अपन वार्ड म अकेल्ला अउ वो डहर ओकर नवा नेवरिया लइका। का करे कइसे करे एक बात ला सतीश हा सोचन लागिस। हेमा के सब्बो भाई के पाछू के नाते रिस्तेदार मन हा ओ अपरेसन समे म सकलागे रिहिन। वोकर ससुरार वाले घलो आगे रिहिन। मां बेटी के सेवा करत अउ अपन छुट्टी के समस्या ले परेसान सतीश ल देखके समझाथें- अब तो तैं हा ददा बनगे हस। ददा बनना कोनो मजाक ते बात नोहे। अब तैं हा अपन घर वाली अउ लइका के सेवा ल नइ करबे ता कोन ह करही। कतका परेसानी हे तेला तहू समझत हस अउ हमू मन हा। सतीश हा हमर बात ल समझ के अपन मुड़ी ल हलावन लागिस। आज हेमा हा अपन दाई के भारी सुरता करत रहय। आज मोर दाई हा जियत रहतिस त ए दिन ला अइसन पीरा-दु:ख परेसानी के दिन ला देखे ल नइ मिलतिस। हेमा के बड़की बहिनी हा जोन दुर्ग के जिला अस्पताल मा नर्स रिहिस, तेन हा 6 दिन छुट्टी ले के सेवा करीस अउ भिलाई लहुटगे। आज ले 6-7 बछर आगू हेमा के बिहाव होय रिहिस। इही रइपुर के एक ठन मुहल्ला सिरीनगर मा ओकर ससुरार हे। हेमा हा अपन घरवाले अउ अपन सास-ससुर संगे एके परिवार मा रहिथे। हेमा के जेठ-जेठानी मन उही घर मा अलग रहिके अपन अलग रांधथे। ऊंकर दू झन टुरा लइका हे। ए सब्बो किस्सा-कहिनी, जुन्ना दिन के सब्बो सुरता हा हेमा के मन मा कोनो फिलिम के कहिनी बरोबर घूमत हे। हेमा ल सुरता आथे के वो हा अपन मइके ला अपन दाई के बिना अउ ओकर बिन आशीरवाद के अपन घर ले बिदा होय रिहिस। ओकर कतको बछर आगू ओकर बड़की बहिनी प्रेमा के घलो इही हाल रिहिस। का करबे मउत बर भगवान के आगू मनखे हा हार जाथे। ओकर कोनो बल, शक्ति नइ चलय। आज मोर दाई जियत रहितिस त नानी बनके कतका खुस हो जातिस। अपन बेटी ला दाई बने के सपना सब्बो दाई ददा मन देखथें अउ ओकर लइका के लइका। इही हा जिनगी के चक्कर ए अउ अपन नाती-पोता ला खेलावत-कुदावत नानी-नाना, दादा-दादी मन सिरा जाथे। आज हेमा ह अपन दाइ के संगे संग अपन भगवान के कतका सुरता करत हे जेकर आसीरवाद ले ओहा आज दाई बने के सुख ला पाय हे। ओकर टूरी लइका होय हे त का होईस। मोर संतान हे मोर लइका हे, मोर अपन खून हे। कमजोर… पातर हे त का होइस। भगवान के किरपा ले ओ हा थोकिन दिन पाछू हरिया जाही। आज हेमा हा मने मन बड़ खुस हे काबर आज वो ला मालूम हो गे के दाई बने का कतका अउ कइसन सुख हो थे। चार एबारसन के बाद पांचवा बेर म वो ह मां बने हावय। दाइ अउ बेटी के अभी तक भेंट मिलन नइ होय हे। अभी तक दाइ हा आज बेटी ल नइ देखे हे अउ अपन कोरा म नइ पाए हे। ओ हा अभी तक नइ जानत हे के मोर दाई अउ मोर ददा हा कोन हे। अउहेमा के ए बखत अइसन हे जेमा ओहा अपन दाइ के घेरी-बेरी सुरता करके रोवत हे अउ दूसर डाहर अपन बेटी ले अभी तक नइ मिल पाय के कारन रोवत हे।
–अशोक सेमसन
भिलाई